Love Shayari

Ishq Shayari In Hindi || इश्क शायरी 2023

 दिल एक हो तो कई बार क्यों लगाया जाये,
बस एक इश्क़ ही काफी है अगर निभाया जाये।
 जिसे भी देखा रोते हुए पाया मैंने
मुझे तो ये मोहब्बत...
किसी फ़कीर की बददुया लगती है।
 किताबों से दलील दूँ
या खुद को सामने रख दूँ...
वो मुझ से पूछ बैठा है
मोहब्बत किस को कहते हैं ??
 इश्क की चोट का कुछ दिल पे असर हो तो सही,
दर्द कम हो कि ज्यादा हो, मगर हो तो सही...।
 इश्क में जिस ने भी
बुरा हाल बना रखा है।
वही कहता है अजी...
इश्क में क्या रखा है।
 तेरा प्यार मेरी जिंदगी में
बहार ले कर आया है,

तेरे आने से पहले हर दिन
पतझड़ हुआ करता था ।
 होश आये तो क्यों कर तेरे दीवाने को,
एक जाता है तो दो आते हैं समझाने को ।
 इश्क़ करने से पहले जात नहीं पूछी जाती महबूब की 
कुछ तो है दुनिया में जो अाज तक मज़हबी नही हुअा ।।
 तन्हाइयों में मुस्कुराना इश्क़ है,
एक बात को सब से छुपाना इश्क़ है,
यूँ तो नींद नहीं आती हमें रात भर,
मगर सोते-सोते जागना और,
जागते-जागते सोना ही इश्क़ है।
 हक़ीक़त खुल गई हसरत, तेरे तर्क-ए-मोहब्बत की,
तुझे तो अब वो पहले से भी बढ़ कर याद आते हैं।
 मुझसे पूछा किसी ने दिल का मतलब
मैने हँस कह दिया ठिकाना तेरा.
जब पूछा सुहानी शाम किसे कहते हैं,
मैने इतरा के कह दिया चाहना तेरा.
उसने पूछा कि बताओ ये क़यामत क्या है,
मैने घबरा के कह दिया रूठ जाना तेरा.
मौत कहते हैं किसे जब मुझसे पूछा,
मैंने आँखें झुका कर कहा छोड़ जाना तेरा।
 दो बातें उनसे की तो दिल का दर्द खो गया,
लोगों ने हमसे पूछा कि तुम्हें क्या हो गया,
बेकरार आँखों से सिर्फ हँस के हम रह गए,
ये भी ना कह सके कि हमें इश्क़ हो गया...।
 एहसास-ए-मुहब्बत के लिए
बस इतना ही काफी है,
तेरे बगैर भी हम, तेरे ही रहते हैं...।
 ऐ आशिक तू सोच तेरा क्या होगा,
क्योंकि हस्र की परवाह मैं नहीं करता,
फनाह होना तो रिवायत है तेरी,
इश्क़ नाम है मेरा मैं नहीं मरता।
 तुम को तो जान से प्यारा बना लिया;
दिल का सुकून आँख का तारा का बना लिया;
अब तुम साथ दो या ना दो तुम्हारी मर्ज़ी;
हम ने तो तुम्हें ज़िन्दगी का सहारा बना लिया।
 दिल-ए-गुमराह को
काश ये मालूम होता,

प्यार तब तक हसीन है,
जब तक नहीं होता।
 खिड़की से झांकता हूँ मै,
सबसे नज़र बचा कर
बेचैन हो रहा हूँ,
क्यों घर की छत पे आ कर
क्या ढूँढता हूँ,
जाने क्या चीज खो गई है,
इन्सान हूँ,
शायद मोहब्बत हमको भी हो गई ।
 मत किया कीजिये दिन के
उजालों की ख्वाहिशें,

ये जो आशिक़ों की बस्तियाँ हैं
यहाँ चाँद से दिन निकलता है...।
 खुदा की रहमत में अर्जियाँ नहीं चलतीं,
दिलों के खेल में खुदगर्जियाँ नहीं चलतीं ।

चल ही पड़े हैं तो ये जान लीजिए हुजुर,
इश्क़ की राह में मनमर्जियाँ नहीं चलतीं ।
 दिल की आवाज़ को इज़हार कहते हैं,
झुकी निगाह को इकरार कहते हैं,
सिर्फ पाने का नाम इश्क नहीं,
कुछ खोने को भी प्यार कहते हैं।
 यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहा,
कि तेरे ही करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल से ।
 इश्क़ को भी इश्क़ हो तो
फिर देखूं मैं इश्क़ को भी,
कैसे तड़पे, कैसे रोये,
इश्क़ अपने इश्क़ में।
 खतम हो गई कहानी,
बस कुछ अलफाज बाकी हैं,
एक अधूरे इश्क की
एक मुकम्मल सी याद बाकी है।
 नक़ाब क्या छुपाएगा
शबाब-ए-हुस्न को,

निगाह-ए-इश्क तो
पत्थर भी चीर देती है।
 उससे कह दो कि
मेरी सज़ा कुछ कम कर दे,

हम पेशे से मुज़रिम नहीं हैं
बस गलती से इश्क हुआ था ।
 वो अच्छे हैं तो बेहतर , बुरे हैं तो भी कबूल,
मिजाज़-ए-इश्क में ऐब-ओ-हुनर देखे नहीं जाते ।
 तूने हसीन से हसीन चेहरों को उदास किया है
ऐ इश्क़ ...
अगर तू इंसान होता तो तेरा कातिल मैं होता ।
 इश्क़ तो बस मुक़द्दर है कोई ख्वाब नहीं,
ये वो मंज़िल है जिस में सब कामयाब नहीं,
जिन्हें साथ मिला उन्हें उँगलियों पर गिन लो,
जिन्हें मिली जुदाई उनका कोई हिसाब नहीं।
 तेरा मेरा इश्क है ज़माने से कुछ जुदा
एक तुम्हारी कहानी है लफ्जों से भरी
एक मेरा किस्सा है ख़ामोशी से भरा।
 अनजान सी राहों पर चलने का तजुर्बा नहीं था, 
इश्क़ की राह ने मुझे एक हुनरमंद राही बना दिया।
 जश्न-ए-शब में मेरी कभी जल न सका इश्क़ का दिया,
वो अपनी अना में रही और मैंने अपने ग़मो को ज़िया।
 फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ इश्क मुकम्मल,
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है।
 मेरी रूह गुलाम हो गई है, तेरे इश्क़ में शायद,
वरना यूँ छटपटाना, मेरी आदत तो ना थी ।
 हमारे इश्क़ को यूं न आज़माओ सनम,
पत्थरों को धड़कना सिखा देते हैं हम ।
 हमें तो प्यार के दो लफ्ज भी नसीब नहीं,
और
बदनाम ऐसे हैं जैसे इश्क के बादशाह थे हम ।
 फिर इश्क़ का जूनून चढ़ रहा है सिर पे,
मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे।
-----
अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाब,
नजरें जब भी मिली थी मुस्कराये तुम भी थे।
-----
लोग पूछते हैं कौन सी दुनिया में जीते हो,
अरे ये मोहब्बत है दुनिया कहाँ नजर आती है।
 तजुर्बा एक ही काफी था बयान करने के लिए,
मैंने देखा ही नहीं इश्क़ दोबारा करके।
 कुछ अजब हाल है इन दिनों तबियत का साहब,
ख़ुशी ख़ुशी न लगे और ग़म बुरा न लगे ।
 किसी का इश्क़ किसी का ख्याल थे हम भी,
गए दिनों में बहुत बा-कमाल थे हम भी।
 ये इश्क़ जिसके कहर से डरता है ज़माना,
कमबख्त मेरे सब्र के टुकड़ों पे पला है।
 इश्क क्या चीज होती है यह पूछिये परवाने से,
जिंदगी जिसको मयस्सर हुई मर जाने के बाद।
 वो मुझ तक आने की राह चाहता है,
लेकिन मेरी मोहब्बत का गवाह चाहता है,
खुद आते जाते मौसमों की तरह है,
और मेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता है।
 अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाब, 
नजरें जब भी मिली थी मुस्कराये तुम भी थे।
 इश्क के रास्ते में मुमसिक तो बहुत मिले,
मिला दे महबूब से ना आज तक कोई ऐसा मिला.
 मेरी किस्मत में है एक दिन गिरफ्तार-ए-वफ़ा होना,
मेरे चेहरे पे तेरे प्यार का इलज़ाम लिखा है।
हर वक़्त फ़िराकमें रहता है ये मेरा इश्क़
तुमसे मिलने को कहता है !
इश्क़ का समुन्दर भी क्या समुन्दर ,
जो डूब गया वो इश्क़
और जो बच गया वो दीवाना।
इश्क ने हमसे कुछ ऐसी साजिशें रची हैं,
मुझमें मैं नहीं हूँ अब बस तू ही तू बसी है..!!
शमा जली है मोहब्बत की परवाने पास आएंगे
माशूक निकले हैं सज धज कर
अब इश्क़ का माहोल बनाएंगे !
वो कहते है कि
भूल जाओ पुरानी बातो को ,
कोई उसे समझाए कि
इश्क़ पुराना नहीं होता ,
इक बात कहूँ इश्क़ बुरा तो नहीं मानोगे,
बड़ी मौज के थे दिन, तुमसे पहचान से पहले..!!
प्यार का पहला इश्क़ का दूसरा
मोहब्बत का तीसरा अक्षर अधूरा होता है
इसलिए हम तुम्हे चाहते है
क्योंकि चाहत का हर अक्षर पूरा होता है ।?
तुम हकीकत-ऐ-इश्क़ हो
या फरेब मेरी आँखों का ,
ना दिल से निकलते हो
ना मेरी ज़िंदगी में आते हो।
नाराजगी चाहे कितनी भी हो तुझसे,
पर तुझे भूलने का ख्याल आज भी नहीं आता..!!
इश्क ने कब इजाजत ली है आशिकों से
वो होता है और हो कर ही रहता है !
तुझसे ना मिलने की तड़प
कुछ ऐसी है कि ,
जैसे मेरी सांस में सांस ना हो।
तू यकीन करें या ना करें तेरे साथ से मैं संवर गई,
तेरे इश्क के जूनून मे मैं सारी हदों से गुजर गई..!!
इश्क़ का रोग भला कैसे पलेगा मुझ से
क़त्ल होता ही नहीं यार अना का मुझ से 
वो जितना मुझे पलके उठा देख लेते है ,
उतना ही मैं नीलम हो जाता हूँ।
तुझसे इश्क़ क्या हुआ,
खुद से मोहब्बत हो गयी..!!
इश्क कर लीजिए बेइंतेहा किताबो से..
एक यही ऐसी चीज़ है
जो अपनी बातों से पलटा नही करती.
साहिब ए अकल हो तो एक मशविरा तो दो,
एहतियात से इश्क करुं या इश्क से एहतियात..!!
इश्क की बहुत सारी उधारियां है तुम पर,
चुकाने की बात करो तो कुछ किश्तें तय कर लें..!
हम इस कदर तुम पर मर मिटेंगे
तुम जहाँ देखोगे तुम्हे हम ही दिखेंगे!
बहुत शौक था हमे भी दिल लगाने का,
शौक शौक में ज़िन्दगी बर्बाद कर बैठे..!!
इश्क़ अगर ख़ाक ना करे
तो ख़ाक इश्क़ हुआ !
इश्क के दामन से लिपटा गम ही होता है,
तन्हाई की आंच से प्रीत कम नहीं होता है,
खुदा भी अफ़सोस करता है आसमान पर,
जब भी जमीन पर कभी आशिक रोता है..!!
आधे से कुछ ज्यादा है,
पूरे से कुछ कम…
कुछ जिंदगी… कुछ गम,
कुछ इश्क… कुछ हम…
प्यार तो प्यार है इसमें तकरार क्या,
इश्क तो दिल की अमानत है इससे इंकार क्या,
मैं तो दिन रात तड़पता हूँ तेरी याद में,
तू भी है मेरे इश्क में बेकरार क्या..!!
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने !
इश्क का समंदर भी क्या समंदर है,
जो डूब गया वो आशिक जो बच गया वो दीवाना..!!
इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग,
दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग.
लोग कहते हैं कि इश्क इतना मत करो,
कि हुस्न सर पर सवार हो जाये,
हम कहते हैं कि इश्क इतना करो,
कि पत्थर दिल को भी तुमसे प्यार हो जाये..!!
मुक़म्मल ना सही अधूरा ही रहने दो
ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं !
साँसों की तरह तुम भी शामिल हो मुझमें,
साथ भी रहते हो और ठहरते भी नहीं..!!
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के!
जिन्दगी तुम्हारे बिना अब कटती नहीं है,
तुम्हारी यादें मेरे दिल से मिटती नहीं है,
तुम बसे हो मेरी आँखों में,
निगाहों से तेरी तस्वीर हटती नहीं है..!!
इश्क़ नाज़ुक मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता!
पता नहीं इश्क़ है या कुछ और,
पर तेरी परवाह करना अच्छा लगता है मुझे..!!
चाहने की वजह कुछ भी नहीं ,
बस इश्क
की फितरत है, बे- वजह होना… . !!
दिवाना हर शख़्स को बना देता है इश्क़,
सैर जन्नत की करा देता है इश्क़,
मरीज हो अगर दिल के तो कर लो इश्क़,
क्योंकि धड़कना दिलों को सिखा देता है इश्क़..!!
सच्चे इश्क में अल्फाज़ से ज्यादा..!
एहसास की एहमियत होती है…!।
तेरा ज़िक्र ही कहाँ था,
मेरी दीवानगी से पहले..!!
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं!
लोग मुझे पत्थर मारने आये तो वो भी साथ थे,
जिनके गुनाह कभी हम अपने सर लिया करते थे..!!
इन आँखो में कैद थे गुनाह ए
इश्क कि सजा के बेहिसाब आंसु….
तेरी यादों ने आकर उनकी जमानत कर दी….
चलते तो हैं वो साथ मेरे पर अंदाज देखिए,
जैसे की इश्क करके वो एहसान कर रहें है..!!
इश्क में जिसने भी बुरा हाल बना रखा है,
वही कहता है अजी इश्क में क्या रखा है..!!
रब ना करें इश्क की कमी किसी को सताए,
प्यार करो उसी से जो तुम्हें दिल की हर बत बताए..!!
इश्क एक नशा है दिल का चाहत है,
दिलों का सरूर प्यार हो जाता है,
नजरों से किसकी खता किसका कसूर..!!
तेरे इश्क़ में हर इम्तिहान दे देंगे,
हमे है तुमसे मोहब्बत सारी दुनिया से कह देंगे..!!
वो अच्छे हैं तो बेहतर बुरे हैं,
तो भी कबूल मिजाज़ ए इश्क में,
ऐब ओ हुनर देखे नहीं जाते..!!
इश्क़ अधूरा रह जाए तो खुद पर नाज़ करना,
कहते है सच्ची मोहब्बत मुकम्मल नहीं होती..!!
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